Uttar Pradesh News Amla Disease Farmers Are Suffering Due To Pestalotia Cruenta ANN

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Amla In Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जिला एक उत्पाद के तहत आंवला को पहचान तो मिल गई लेकिन जीआई टैगिंग (GI Tags) करवाना भूल गई. जीआई टैगिंग न होने के कारण किसानों को फायदा होने से रह गया. फ़िलहाल, इस इलाके में यानि कि ज़िले में 6,000 हेक्टेयर में आंवले का उत्पादन होता हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि फसल खराब हुई तो किसान को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जबकि फसल अच्छी हुई तो भी किसान को ही दिक्कत होती है. क्योंकि अगर फसल ज्यादा हो तो यह बिक नहीं पाता है.

इस वर्ष आंवला किसान विशेष रूप से फलों के सड़ने (पेस्टालोटिया क्रुएंटा) नामक संक्रमण के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यह बीमारी फलों पर भूरे रंग के धब्बे के रूप में आता है जो आंवले को ढंक देता है. फलों का सड़ना आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में होता है. प्रतापगढ़ के अधिकांश किसान आंवला की खेती करते हैं.

आमतौर पर, जैसे ही आंवला के पेड़ फल देने लगते हैं, व्यापारी किसानों को उनके पूरे बाग की उपज के लिए कुछ अग्रिम भुगतान करते हैं और तोड़ने से लेकर बिक्री तक बागों की देखभाल भी करते हैं, जिसके बाद वे किसानों को शेष राशि का भुगतान करते हैं. लेकिन इस बार न सिर्फ किसानों बल्कि व्यापारियों को भी नुकासान उठाना पड़ा.

किसान राकेश बहादुर सिंह ने बताया, ”इस साल मानसून के दौरान पहले जो फसल आई थी, वह बढ़ने लगी लेकिन फिर से बीमारियों के कारण गिर भी गई. यही कारण है कि इस क्षेत्र में उत्पादन की दर में भी कमी आई है. जहां तक खर्च का सवाल है तो डीजल और पेट्रोल के दाम भी बढ़े हैं. हर चीज की कीमत बढ़ गई चाहे वह सामग्री की लागत हो, श्रम लागत हो. ऐसे में एक तरफ उत्पादन कम हुआ तो दूसरी तरफ रिटर्न भी ज्यादा नहीं मिला. किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है.”

फलों के सड़ने के कारण, कई व्यापारियों ने फलों को बागों से नहीं ले गए. ऐसे में किसानों को खुद ही सड़े हुए फलों को हटाना पड़ा. ऐसे में प्रतापगढ़ में आंवला किसानों के लिए केवल फलों के सड़ने की समस्या ही चिंता का विषय नहीं है इन इलाकों में आंवले की खेती में लगातार गिरावट देखी जा रही है.

किसान ज्वाला प्रसाद ने बताया, ”ब्लॉक में आंवला विकास अधिकारी हुआ करते हैं, कुंडा में भी थे लेकिन सरकार ने उन्हें हटा लिया. आंवला विकास अधिकारी समय-समय पर किसानों को सलाह देते रहते थे. ऐसे में अधिकारी का पद खाली रहने के कारण आंवला ही सड़ गया. ऐसे में किसानों को नुकसान झेलना पड़ा.”

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर और जौनपुर जिलों में आंवले की खेती की जाती है, जिसमें से प्रतापगढ़ में सबसे अधिक उपज होती है. प्रतापगढ़ के बागवानी विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, जिले में हर साल 800,000 क्विंटल आंवला पैदा होता है जो राज्य के आंवला उत्पादन का 80 प्रतिशत है. जहां इस साल आंवला किसान समुदाय के बीच फलों के सड़ने से दुख हुआ है, वहीं प्रतापगढ़ में लगभग 10 वर्षों से फलों की खेती में लगातार गिरावट देखी जा रही है.

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